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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

मंगलवार, 30 जनवरी 2018

हमारे इतिहास का एक बिंदु ---डा श्याम गुप्त

                        ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...


हमारे इतिहास का एक बिंदु ----
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----- भारतवर्ष की जनसंख्या की एतिहासिक डेमोग्राफी का अध्ययन करते समय हम यह पाते हैं वर्ष १००० एडी में भारत की जनसंख्या १५ करोड़ थी जो १५००-१६०० एडी में बढ़ने की बजाय घटकर १० करोड़ ही रहजाती है, क्यों ? कोइ भी इतिहास या इतिहासकार इसका कारण नहीं स्पष्ट करता या नहीं करना चाहता, क्यों |
------क्योंकि मुस्लिमों से शासन अंग्रेजों के हाथ चलागया और अँगरेज़ इतिहासकारों को भ्रम फैलाने में ही अपना भला दिखाई देता था, उन्हें हिन्दुओं से क्या लाभ, क्योंकि वे भी वही करने वाले थे ,..अन्य आज के स्वतन्त्रता पूर्व व पश्चात के आधिकांश भारतीय इतिहासकार या तो अंग्रेज़ी इतिहास के तोता रटंत को दोहराने वाले, या विदेशी /अंग्रेज़ी में पढ़ने लिखने वाले आधे अँगरेज़-भारतीय या साम्यवादी/ कम्यूनिष्ट हैं जिन्हें भारतीय ज्ञान में कोइ दिलचस्पी नहीं है |
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-----अब यह देखा जाय की यह ५०० वर्षों का समय किस काल एवं राजशाही का था तो बात स्पष्ट होजाती है |
--------यह काल भारत पर मुस्लिम आक्रान्ताओं के अधिकार का काल था | महमूद गज़नवी, मोह.गोरी, इल्तुतमिश, गुलाम वंश , अलाउद्दीन खिलजी, तुगलक वंश, तैमूर लंग, सैय्यद , लोधी वंश ..जिन्होंने हिन्दू/भारतीयों का सामूहिक क़त्लेआम, गुलाम बनाना, गुलाम बनाकर अन्य मुस्लिम देशों में दास की भांति विक्रय करना, हिजड़ा बनाना, महिलाओं को अपने हरमों में रखना, दासियों की भाँति अफ्रीकी व मुस्लिम देशों में बेचना, क़त्ल , वलात्कार आदि एक नियमित आवश्यक प्रक्रिया व शौक बना रखा था, ताकि वैदिक धर्म व भारतीय संस्कृति को मिटाया जा सके | बची खुची कमी मुग़ल साम्राज्य के शासकों, बाबर, अकबर, हुमायूं, शाहजहाँ व औरंगजेब ने उसी राह पर चलते हुए की |



---- आगे अन्य बिंदु ..


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