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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

मंगलवार, 21 जनवरी 2014

हम्पी बादामी यात्रा वृत्त-११ ..(समापन भाग ).....जोग फाल्स व होन्नेमराडू ...डा श्याम गुप्त ...

                                  ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...


                 


                  हम्पी बादामी यात्रा वृत्त-११ (समापन भाग )...जोग फाल्स व होन्नेमराडू...

श्रावती नदी व्यू -जोग फाल्स

रास्ते में श्रावतीनदीका दृश्य -पुलसे

जोगफाल्स पर पिआनो वादक आराध्य

जोगफाल्स

जोग फाल्स

जोगफाल्स पर



 




         हम लोग बादामी से कार द्वारा २६-१२-१३-को प्रातः बजे जोगफाल्स के लिए निकल पड़े |  बादामी रोड से गुलबर्गा-बीजापुर-हुबली हाईवे पर कोंनूर-->सोलापुर रोड...हुबली--->हुबली-धारवाड़ हाईवे...सिरसी-बेलगाव रोड...सिरसी-->सिरसी-सिद्धपुर रोड...सिद्धपुर...होते हुए लगभग १२ बजे बंगलौर-हनोवर हाईवे पर स्थित ‘मत्थूगा होम स्टे रिजोर्ट’ पर पहुंचे |  फ्रेश होकर लंच के बाद तुरंत ही जोग्फाल्स के लिए चल दिए जो रिजोर्ट से सिर्फ ८ किमी की दूरी पर है |
            जोग फाल्स ----कर्नाटक के शिमोगा जिला में भारत में  सबसे ऊंचाई से गिरने वाले विश्व प्रसिद्ध झरने हैं इसे गैरूसोप्पा झरने  भी कहा जाता है | यह लगातार बहने वाले झरनों में सर्वोच्च ऊंचाई से गिरने वाला झरना है जो सीधा-सीधा नीचे गिरता है बिना किसी चट्टान से छूते हुए | शिमोगा कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी है , इसे कर्नाटक काधान का कटोरा भी कहा जता है|  शिमोगा उत्तम गुणवत्ता की सुपारी (पान में प्रयोग की जाने वाली …Betel nut ) का बहुत बड़ा बाज़ार है|
रिजोर्ट में -मोर्निंग वाक्-निर्विकार व आराध्य
आओ आओ कौओं के बच्चो ..देखो .आदमी !!
         









       भारतीय दक्षिण पठार के पश्चिमीघाट की पहाड़ियों व वनों से होकर बहने वाली श्रावती नदी पर स्थित जोग फाल्स लगभग ९०० मीटर की ऊंचाई से गिरते हैं| जो मुख्यतः चार धाराओं में हैं जो राजा, रोअरर, रोकेटरानी नाम से जाने जाते हैं| इस समय दिसंबर के मौसम में नदी में जल बहुत ही कम था अतः झरनों की धाराएं भी अत्यंत ही क्षीण व कृशकाय थीं| फिर भी दृश्य नयनाभिराम लगे| वर्षाऋतु में इन का सौन्दर्य देखते ही बनता होगा | शाम के ५ बजे तक दृश्यों का आनंद उठाते हुए हम लोग रात्रि विश्राम हेतु रिजोर्ट में लौट आये|
रिजोर्ट के वन में ट्रेकिंग करते हुए आराध्य
मत्थुगा होम स्टे रिजोर्ट
लो यहाँ भी आगये हमें तंग करने







मकडी -सुबह से ही काम पर ..शिकारी-जाल बुनते हुए
  

                होन्नेमराडू २७-१२-१३ दोपहर लंच के पश्चात रिजोर्ट से चेक-आउट करके हम लोग मत्थूगा होम-स्टे रिजोर्ट से लगभग १४ किमी दूर ( जोग फाल्स से ६ किमी ) घने जंगल में स्थित होन्नामराडू गाँव में  श्रावती नदी के बैक-वाटर्स में होंनामराडू वाटर सपोर्ट स्थल पर पहुंचे | होन्नेमराडू अर्थात सुनहरी रेत का स्थान... स्वर्णिम झील |  श्रावती नदी पर स्थित प्रसिद्द लिग्नामक्की डेम भी यहीं है| बहुत बड़े जलीय भाग ( वाटर बोडी) के मध्य कई द्वीप( आईलेंड ) हैं| हम कार द्वारा जंगली ट्रेक से होते हुए जलकुंड के किनारे तक पहुंचे जहां स्टाफ तैयारी के साथ इंतज़ार कर रहा था| सभी को लाइफ-बेल्ट पहनाकर कोराइकल ( बांस-बैंत की वाटरप्रूफ ...यहाँ प्लास्टिक की... बनी गोल–स्थानीय नाव ) द्वारा आईलेंड पर पहुंचाया गया जहां बोटिंग व केयाकिंग वाटर स्पोर्ट्स का आनंद लिया गया|

             लगभग चार बजे हम लोग वापस बेंगलोर की ओर चल दिए तथा लगभग ४०० किमी चलकर सागर, चित्रदुर्ग, सिरसी, तुमकुर आदि होते हुए रात्रि १२ बजे बेंगलोर पहुंचे|
आराध्य लाइफ जेकेट में
कोराइकल को खेते हुए निर्विकार
फिश लार्वा , टेडपोल--तैरते हुए
विशाल श्रावती बेक-वाटर्स व कोराइकल

कोराईकल का घूमर नृत्य


आराध्य पतवार उठाने की प्रेक्टिस
लिग्नामक्की बाँध

2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वाह, आनन्दमय पर्यटन।

shyam gupta ने कहा…

धन्यवाद पांडे जी....आनंद ..